वर्षों से बढ़ती हरियाली का उपहा
संत रनिरंकारी मिशन का एकता एक अभियान
निसर्ग कॉलोनी क्षेत्र में होगा वृक्षारोपण
जालना शहर में, पहले चरण में, 21 अगस्त 2021 को नए MIDC में 650 पेड़ लगाए गए थे, जबकि 04 अगस्त 2024 को 150 पेड़ लगाए गए थे। अब, तीसरे चरण में, 17 अगस्त 2025 को निसर्ग कॉलोनी, निरमाया अस्पताल के सामने, वीवीएस कॉलेज के पीछे, मामादेवी से रेलवे स्टेशन मार्ग, जालना में 100 पेड़ लगाए जाएँगे।
सद्गुरु माता सुदीक्षाजी महाराज के दिव्य मार्गदर्शन में 2021 में शुरू किया गया वन वन परियोजना, केवल एक वृक्षारोपण पहल नहीं है, बल्कि प्रकृति के साथ संतुलन और सह-अस्तित्व की भावना जागृत करने का एक महत्वपूर्ण अभियान है। यह अभियान हमें सिखाता है कि हम प्रकृति से अलग नहीं, बल्कि उसका अभिन्न अंग हैं। इसलिए, इस प्रकृति की रक्षा का अर्थ वास्तव में अपने जीवन और भविष्य की रक्षा करना है।
ये वृक्ष-पौधे इतने सघन हो गए हैं कि अब एक छोटे जंगल का रूप लेने लगे हैं। यह परिवर्तन केवल बाहरी हरियाली तक ही सीमित नहीं है, अब पक्षियों की कई प्रवासी और दुर्लभ प्रजातियाँ भी इस छोटे वन क्षेत्र में आश्रय लेने लगी हैं, जो पहले विलुप्त होने के कगार पर थीं।
निःसंदेह, ये सभी जीव जैव विविधता और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन वन अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण का एक माध्यम है, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच एक बार फिर आध्यात्मिक संबंध भी स्थापित कर रहा है। एक ऐसा संबंध जो वास्तव में एकता का प्रतीक है।
एक विशेष बात यह है कि वन वन अभियान के अंतर्गत अब तक देश भर में 600 से अधिक वृक्षारोपण किए जा चुके हैं। यह केवल हरियाली बढ़ाने का अभियान नहीं है, बल्कि लघु वनों के रूप में एक स्थायी और संतुलित पर्यावरण निर्माण की दिशा में एक सार्थक प्रयास है। मिशन के स्वयंसेवक इन वृक्षारोपणों का पूरी निष्ठा और लगन से रखरखाव कर रहे हैं, क्योंकि उनके लिए प्रत्येक पौधा केवल एक वृक्ष नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों की साँसों का आधार है।
पूज्य बाबा हरदेव सिंहजी का यह स्वर्णिम संदेश – प्रदूषण चाहे अंतर्मन में हो या बाह्य जगत में, दोनों ही हानिकारक हैं – इस पूरे अभियान का प्रेरणा स्रोत बना है। इसी जागरूकता से प्रेरित होकर संत निरंकारी मिशन के सेवक बाह्य वातावरण के साथ-साथ हृदय की पवित्रता बनाए रखने की दिशा में पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य कर रहे हैं। क्योंकि जब मन शुद्ध होता है, तभी विचार, वाणी और कर्म भी शुद्ध होते हैं।
